IIT BHU Develops Engineered Cell Therapy for Rapid Healing of Diabetic Wounds डायबिटिक घावों को तेजी से भरेगी ‘इंजीनियर्ड सेल थेरेपी’, Varanasi Hindi News - Hindustan
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डायबिटिक घावों को तेजी से भरेगी ‘इंजीनियर्ड सेल थेरेपी’

Varanasi News - आईआईटी बीएचयू के शोधकर्ताओं ने नई ‘इंजीनियर्ड सेल थेरेपी’ विकसित की है, जो डायबिटीज के मरीजों के घावों को तेजी से भरने में सक्षम है। इस शोध का नेतृत्व डॉ. सुदीप मुखर्जी और मलय नायक ने किया है। यह...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीMon, 27 Oct 2025 11:55 PM
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डायबिटिक घावों को तेजी से भरेगी ‘इंजीनियर्ड सेल थेरेपी’

वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। आईआईटी बीएचयू के स्कूल ऑफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं ने नई ‘इंजीनियर्ड सेल थेरेपी’ विकसित की है। यह थेरेपी डायबिटीज के मरीजों के घावों को तेजी से भरने में सक्षम होगी। यह शोध प्रतिष्ठित ‘केमिकल इंजीनियरिंग जर्नल’ में प्रकाशित किया गया है। साथ ही शोधकर्ताओं ने इसका पेटेंट भी दाखिल किया है। इस शोध का नेतृत्व स्कूल ऑफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के डॉ. सुदीप मुखर्जी और पीएचडी शोधार्थी मलय नायक ने किया है। डॉ. सुदीप मुखर्जी ने बताया कि मधुमेह से पीड़ित लोगों के घाव सामान्यतः भरने में कठिनाई होती है, क्योंकि शरीर में ग्लूकोज का स्तर लंबे समय तक अधिक बना रहता है।

इससे गंभीर संक्रमण और कई मामलों में अंग विच्छेदन तक की नौबत आ जाती है। चिंताजनक तथ्य यह है कि हर 20 सेकंड में दुनिया में एक व्यक्ति डायबिटिक घावों के कारण अपना अंग खो देता है। डॉ. मुखर्जी ने बताया कि डायबिटिक चूहों पर किए गए परीक्षणों में यह थेरेपी असाधारण रूप से प्रभावी सिद्ध हुई। इस उपचार से कई सप्ताह में भरने वाले घाव सिर्फ 13 दिनों में पूरी तरह भर गए। यही कोशिका-युक्त कैप्सूल्स यकृत (लिवर) में रक्तस्राव को भी शीघ्र रोकने में सक्षम पाए गए, जिससे यह तकनीक ऑपरेशन में भी उपयोगी हो सकती है। यह थेरेपी अभी केवल पशु मॉडल्स पर परखी गई है। शोध दल अब मानव नैदानिक परीक्षणों की दिशा में कार्य कर रहा है, जिससे विश्वभर में लगभग 830 मिलियन मधुमेह रोगियों के लिए नई आशा जगी है। आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने कहा यह अभिनव कार्य संस्थान में नवाचार और अनुसंधान की भावना का उत्कृष्ट उदाहरण है। इंजीनियर्ड सेल-आधारित थेरेपी द्वारा डायबिटिक घावों का प्रभावी उपचार ट्रांसलेशनल बायोमेडिकल रिसर्च के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। इस प्रकार का कार्य न केवल भारत की स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी में स्थिति को सुदृढ़ करता है, बल्कि लाखों मरीजों के जीवन में आशा की नई किरण जगाता है।

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