अंधा कर रही कार्बाइड गन, रोक लगे... MP के बाद दिल्ली में उठी मांग
दीपावली पर कार्बाइड गन और पटाखों के कारण 190 लोगों की आंखें जख्मी हुईं, जिनमें गंभीर रूप से घायल 20 लोगों का ऑपरेशन एम्स में किया गया है। डॉक्टरों ने सोशल मीडिया पर प्रसारित कार्बाइड गन पर रोक लगाने की मांग की है।

दीपावली पर कार्बाइड गन और पटाखों की वजह से आंखों को जख्मी करने वाले 190 में से गंभीर नुकसान वाले 20 लोगों के ऑपरेशन एम्स में किए गए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि सोशल मीडिया पर देखकर शौक में बनाई गई कार्बाइड गन से झुलसे इन 20 लोगों की आंखों में फिलहाल 50 फीसदी रोशनी ही लौट पाई है।
कार्बाइड गन ने बच्चों की आंखों को थर्मल, केमिकल और मैकेनिकल चोट पहुंचाई है, उनकी आंखों को ठीक होने में अभी लंबा समय लगेगा। इस पर रोक जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ, तो अगले साथ ऐसे मामले और बढ़ सकते हैं।
एम्स के नेत्र रोग विभाग आरपी सेंटर के डॉक्टरों ने बुधवार को प्रेसवार्ता कर कार्बाइड गन और पटाखों से लोगों की आंखों को हुए नुकसान और इनके कारणों की जानकारी दी। आरपी सेंटर की चीफ प्रो. डॉ. राधिका टंडन ने बताया कि दशहरा से दीपावली तक दुर्घटनावश आंख में तीर लगने और पटाखों से जलने की परेशानियां हर साल सामने आती थीं, लेकिन इस बार पटाखे जलाने की अनुमति मिलने और सोशल मीडिया पर कार्बाइड गन बनाने के वीडियो प्रसारित होने की वजह से नुकसान ज्यादा हुआ है। इस साल एम्स में पटाखों से जलने और कार्बाइड गन और पटाखों की वजह से झुलसने के 190 मरीज पहुंचे हैं। बीते साल की अपेक्षा ये आंकड़ा 20 फीसदी ज्यादा है। 20 मरीजों को कार्बाइन गन की वजह से नुकसान पहुंचा है। इन्हें मॉडरेट विजुअल लॉस हुआ है। इनकी आंखों में केमिकल चोट, जलने और मेकेनिकल चोट पहुंची है। मेकेनिकल चोट यानी बाहरी वस्तुओं के टुकड़े आंखों में लगने की वजह से कॉर्निया को रिपेयर करने की जरूरत पड़ी है।
घायलों में युवाओं की संख्या ज्यादा
दीपावली पर पटाखे जलाने के मामले बढ़े तो आंखों की रोशनी गंवाने वालों के आंकड़ों में भी इजाफा हुआ। जहां धनतेरस से दीपावली तक तीन दिनों में कुल 190 मरीज एम्स के आरपी सेंटर में इलाज कराने पहुंचे, वहीं दीपावली के दिन 97 यानी 51 फीसदी केस आए। कार्बाइड गन से झुलसने के मामलों में 20 से 30 साल के युवा सबसे ज्यादा हैं।




