Gumbad-e-Khazra and where am I why did Owaisi return the honor i love mohammad कहां गुंबद-ए-खजरा और कहां मैं; असदुद्दीन ओवैसी ने क्यों लौटा दिया सम्मान, India News in Hindi - Hindustan
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कहां गुंबद-ए-खजरा और कहां मैं; असदुद्दीन ओवैसी ने क्यों लौटा दिया सम्मान

एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने ‘आई लव मोहम्मद’ लिखा हुआ एक पोस्टर लेने से इनकार कर दिया। इसपर गुंबद-ए-खजरा बना हुआ था। इसलिए ओवैसी ने कहा, मुझे गुनहगार मत बनाइए।

Fri, 3 Oct 2025 01:02 PMAnkit Ojha लाइव हिन्दुस्तान
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कहां गुंबद-ए-खजरा और कहां मैं; असदुद्दीन ओवैसी ने क्यों लौटा दिया सम्मान

उत्तर प्रदेश के कानपुर से 'आई लव मोहम्मद' को लेकर विवाद पूरे देश में फैल चुका है। उत्तर प्रदेश सरकार ने बरेली, सहारनपुर और मेरठ समेत पश्चिमी यूपी में अलर्ट जारी कर दिया है। शांति बनाए रखने के लिए बरेली में इंटरनेट और मेसेजिंग सेवाएं बंद कर दी गई हैं। इसके अलावा संभल में पीएसी और आरआरएफ की तैनाती की गई है। इसी बीच असदुद्दीन ओवैसी का एक वीडियो वायरल हो रहा जिसमें वह 'आई लव मोहम्मद' लिखे हुए एक पोस्टर को लेने से इनकार कर देते हैं। इंटरनेट पर कई यूजर यह भी कह रहे हैं कि असदुद्दीन ओवैसी ने 'आई लव मोहम्मद' से दूरी बना ली है। हालांकि यह पूरा सच नहीं है।

दरअसल असदुद्दीन ओवैसी को लोग जो पोस्टर भेंट कर रहे थे उसपर गुंबदे खिजरा के बगल में उनकी भी तस्वीर बनी हुई थी। इसपर ओवैसी ने कहा, कहां गुंबद-ए-खिजरा और कहां मैं। मुझे क्यों गुनहगार बना रहे हो। पहले उन्होंने लोगों से फोटो खिंचवाते वक्त अपनी तस्वीर हाथ से ढकने को कहा और इसके बाद कहा कि इसे आप लोग अपने पास ही रखिए।

क्या है गुंबद-ए-खजरा

दरअसल गुंबद-ए-खिजरा मदीना में मस्जिद-ए-नबवी के बगल दो खलीफाओं अबू बक्र और उमर की कब्र पर बना हुआ एक हरे रंग का गुंबद है। इसका अर्थ ही होता है हरे रंग का गुंबद। अरबी भाषा में हरे रंग को ही 'खजरा' कहते हैं। यह गुंबद मूल रूप से लकड़ी का बना था। हालांकि इसकी कई बार रिपेयरिंग की जा चुकी है। कहा जाता है कि 1837 में पहली बार इसे हरे रंग से रंगा गया था।

बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ने सुबह ही बीजेपी पर हमला किया था। उन्होंने कहा, संभल की मस्जिद का मुकदमा चल रहा है। इस तरह का कानून बना दिया कि हमें अपनी मस्जिद में भी जाने से रोक है। इस देश में आई लव मोदी बोल सकते हैं लेकिन आई लव मोहम्मद नहीं बोल सकते।

के अलावा कुछ नहीं है। आप बोल रहे हैं, ये भी नहीं। भारत में 17 करोड़ की जनता जो रहती है, जिन्होंने आजादी में हिस्सा लिया। आपका पोस्टर लगाएंगे तो खुश, मैं अपने नबी का पोस्टर लगाऊं तो क्या हो गया। वीडियो आ रहे हैं कि पुलिस लाठीचार्ज करे तो कैसे दुकानदार हैं जो फूल बरसा रहे हैं। याद रखो ये पुलिस किसी की नहीं होती। जिसकी सरकार होती है उसी की होती है। आप हुकूमत के नशे में चूर हैं। आप जो पोस्टर लगा रहे हैं, उसमें मोहम्मद का नाम लिखा है। किसी का नाम नहीं था मोहम्मद दुनिया में, शिवाय हमारे और आपके आका के। पहला नाम था जिसे मोहम्मद रखा गया। नाम का अपमान मत करो।

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