कॉल करने वालों का असली नाम दिखने से साइबर ठगों पर शिकंजा कसेगा
देशभर में 60 फीसदी से अधिक लोगों को हर तीन दो-तीन स्पैम कॉल अथवा एसएमएस प्राप्त होते हैं। इनके जरिए लोगों को लोन लेने, क्रेडिट कार्ड लेने, लॉटरी लगने, किसी कंपनी की कोई सर्विस या सामान खरीदने का झांसा दिया जाता है। यह सभी कॉल या मैसेज ग्राहक अनुमति के बिना की जाती हैं।

मोबाइल पर कॉल करने वाले का असली नाम दिखाने की सुविधा (सीएनएपी) अगले साल मार्च तक देशभर में लागू हो जाएगी। यह कदम देशभर में धोखाधड़ी वाली कॉल, साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट जैसे मामलों को रोकने के लिए उठाया गया है। इससे उपभोक्ता को पता होगा कि उसे कौन कॉल कर रहा है, जिससे वह फर्जी कॉल को पहचानने में सक्षम होगा।
स्पैम कॉल को पहचानना आसान नहीं है, क्योंकि ये नंबर सामान्य मोबाइल नंबर से मिलते-जुलते होते हैं। इसलिए अक्सर लोग इन कॉल को उठा लेते हैं। आंकड़ों के अनुसार, देशभर में 60 फीसदी से अधिक लोगों को हर तीन दो-तीन स्पैम कॉल अथवा एसएमएस प्राप्त होते हैं।
इनके जरिए लोगों को लोन लेने, क्रेडिट कार्ड लेने, लॉटरी लगने, किसी कंपनी की कोई सर्विस या सामान खरीदने का झांसा दिया जाता है। यह सभी कॉल या मैसेज ग्राहक अनुमति के बिना की जाती हैं। नई सुविधा में अब अनजान नंबर से फोन करने वाले व्यक्ति की पहचान भी आसानी संभव हो सकेगी। इसके लिए थर्ड पार्टी ऐप की जरूरत जरूरत पूरी खत्म हो जाएगी।
डिफॉल्ट रूप से लागू होगी सुविधा
यह सुविधा सभी उपयोगकर्ताओं के लिए डिफॉल्ट रूप से सक्रिय रहेगी। पहले ट्राई ने कहा था कि सीएनएपी केवल इच्छुक उपभोक्ताओं को ही उपलब्ध कराई जाए लेकिन दूरसंचार विभाग का मानना था कि यह सेवा स्वचालित रूप से सभी को दी जानी चाहिए, ताकि धोखाधड़ी और साइबर अपराधों पर लगाम लगाई जा सके। हालांकि, इस सुविधा का इस्तेमाल नहीं करने वाले उपभोक्ताओं को इसे निष्क्रिय कराने का विकल्प मिलेगा।
अगर परिवार में एक ही नाम पर कई सिम हों तो
यदि एक ही परिवार के अलग-अलग लोग एक ही सदस्य के नाम पर लिए गए नंबर इस्तेमाल करते हों तो उसके लिए किस तरह इसे लागू किया जाएगा, इस पर विभाग ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल जिसके नाम पर केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) है, उसी का नाम दिखाई देगा।
बाद में इसमें उपयोगकर्ता का नाम जोड़ने की सुविधा पर काम किया जाएगा। विभाग ने बताया कि किसी एक संस्थान द्वारा लिए गए कई नंबरों के मामले में भी यही होगा कि जिसके नाम पर केवाईसी है, उसी का नाम आएगा।
इन्हें छूट संभव
सरकार ट्राई की उस सिफारिश पर भी विचार कर रही है जिसके तहत 'कॉलिंग लाइन पहचान निषेध' (सीएलआईआर) सुविधा लेने वाले उपभोक्ताओं का नाम प्रदर्शित नहीं किया जाएगा। यह सुविधा खास उपभोक्ताओं, केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों और महत्वपूर्ण व्यक्तियों को दी जाती है।
थर्ड पार्टी ऐप की जरूरत खत्म होगी
वर्तमान में मोबाइल उपभोक्ता ट्रूकॉलर जैसे ऐप का इस्तेमाल कॉलर का नाम पता लगाने के लिए करते हैं। लेकिन इन ऐप के साथ भी बड़ी दिक्कत है। इनमें कॉलर का वही नाम दिखाई देता है, जो यूजर ने अपने मोबाइल में सेव किया है। कई मामलों में यूजर अपने किसी जानकार के असल नाम के बजाए उसका उपनाम या छोटा नाम सेव करते हैं। ऐसे में कॉल करने पर वही नाम दिखता है।
वहीं, अनजान नंबर से आने वाले कॉल के मामलों में भी असली नाम दिखने की गारंटी नहीं होती। कॉल प्राप्त करने वाले व्यक्ति को वही नाम दिखेगा, जो ऐप कंपनियों के डाटाबेस में सेव किया जाता है।
ट्रूकॉलर का कारोबार
विज्ञापन, प्रीमियम सदस्यता और व्यवसायों को सत्यापन सेवाएं बेचकर होती है कमाई
पिछले वित्त वर्ष में आय
विज्ञापन से आय 1,083 करोड़
प्रीमियम सब्सक्रिप्शन से ₹165 करोड़
व्यवसायों की सत्यापन सेवाओं से ₹136 करोड़
75 प्रतिशत से अधिक राजस्व भारत से
25 करोड़ मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता भारत में




