ओपन AI के सीईओ सैम ऑल्टमैन की एक लाइन से गूगल के 150 अरब डॉलर डूबे
Earthquake in the tech world: ओपनएआई ने मंगलवार को अपना नया AI-पावर्ड वेब ब्राउजर, 'चैटजीपीटी एटलस' पेश किया। इसके बाद गूगल की पैरेंट कंपनी 'अल्फाबेट' के शेयरों में जबरदस्त गिरावट आई। कंपनी की मार्केट वैल्यू में 150 अरब डॉलर की भारी गिरावट दर्ज की गई।

Earthquake in the tech world: ओपनएआई ने मंगलवार को अपना नया AI-पावर्ड वेब ब्राउजर, 'चैटजीपीटी एटलस' पेश किया। यह घोषणा एक 6 सेकंड के रहस्यमय वीडियो से की गई थी जिसमें कुछ टैब्स दिखाए गए थे और इसके बाद सीईओ सैम ऑल्टमैन (Sam Altman) ने एक लाइव स्ट्रीम के दौरान कहा,"यह एक ऐसा मौका है जब हम एक दशक में एक बार देखते हैं कि ब्राउजर की परिभाषा को दोबारा सोचने का समय आ गया है।"
इस घोषणा के तुरंत बाद गूगल की पैरेंट कंपनी 'अल्फाबेट' के शेयरों में जबरदस्त गिरावट आई। घोषणा के बाद Alphabet के शेयर शुरू में 4.8% गिरकर $246.15 तक पहुंच गए, फिर थोड़ा रिकवर होकर 2.4% गिरावट के साथ $250.46 पर बंद हुए। उसके बाजार मूल्य में 150 अरब डॉलर की भारी गिरावट दर्ज की गई। यह इस साल तकनीकी उत्पादों की घोषणा पर होने वाली सबसे बड़ी प्रतिक्रियाओं में से एक मानी जा रही है।
क्या है एटलस ब्राउजर की खासियत?
ओपन एआई के सीईओ सैम अल्टमैन ने एटलस को वेब ब्राउजिंग में क्रांतिकारी बदलाव करार दिया है। इसकी मुख्य विशेषताएं हैं…
- यह गूगल क्रोम की तकनीक (क्रोमियम) पर ही बना है।
- इसमें चैटजीपीटी को सीधे हर वेबपेज में एम्बेड किया गया है, यानी अलग टैब खोलने या कॉपी-पेस्ट करने की जरूरत नहीं।
- इसका सबसे अनोखा फीचर "एजेंट मोड" है, जहां AI आपके कर्सर और कीबोर्ड की नियंत्रण लेकर जटिल काम जैसे फ्लाइट बुक करना, रिसर्च करना या दस्तावेज संपादित करना खुद-ब-खुद कर सकता है।
- अभी यह MacOS के लिए उपलब्ध है, जल्द ही विंडोज और मोबाइल वर्जन आएंगे।
- एजेंट मोड का इस्तेमाल सिर्फ चैटजीपीटी के पेड सब्सक्राइबर्स (प्लस और प्रो) ही कर सकते हैं।
गूगल के लिए क्यों है बड़ी चुनौती?
यह सिर्फ ब्राउजर बाजार की लड़ाई नहीं है। गूगल की अधिकांश आमदनी सर्च और उसके विज्ञापनों से होती है। AI ब्राउजर सीधे जवाब देकर उन विज्ञापनों वाले नतीजों की जरूरत को खत्म कर सकते हैं। चैटजीपीटी के 80 करोड़ साप्ताहिक यूजर्स का बड़ा आधार ओपनएआई के पास है जो आसानी से नए ब्राउजर पर स्विच कर सकते हैं।
हालांकि, गूगल ने भी अपने ब्राउजर क्रोम में जेमिनी AI को शामिल किया है, लेकिन 29 अक्टूबर को आने वाले उसके तिमाही नतीजे यह साफ कर देंगे कि क्या AI प्रतिस्पर्धा ने उसकी सर्च बादशाहत को चुनौती दे दी है।




